Sunday, July 6, 2008

विदाई !

मित्र की विदाई में आयोजित एक समारोह में दुसरे मित्र ने अपने संदेश में कहा, "कुछ शत्रु जब मिलते हैं तो जान ले लेते हैं, और कुछ मित्र जब बिछुड़ते हैं तो प्राण ले लेते हैं।" उन्होंने बहुत भावुक हो मुझे यह बात सुनाई । विदाई कार्यक्रम इन्ही का था और वो भी आज से बीस बरस पहले। "और कारण चाहे जो भी रहा हो लेकिन उस विदाई समारोह एक लगभग एक महीने के बाद वो स्वयं अपनी देह त्याग इस संसार से विदा हो गये। मेरे मन में यह शब्द उन के अन्तिम शब्दों जैसे अंकित हो गए। प्रणय, इन बीस वर्षों में तुम दुसरे व्यक्ति हो जिस से मैंने यह बात की है।" अपने भाव छिपाने के लिए उन्होंने चाय का प्याला मुंह से लगा लिया। और कुछ देर के लिए हम दोनों चुप हो गए।






1 comment:

Anonymous said...

Very touchy post!

May his soul rest in peace....