भारतीय मीडिया में राजनीतिज्ञों को हर समय खलनायक दिखाए जाने से मैं कभी सहमत नहीं हो सकता. आखिर इन्ही राजनीतिज्ञों के कारण हमारा देश लोकतान्त्रिक कहलाता है. हर समय इन लोगों को कटघरे में खड़े करने वाले क्या कभी चाहेंगे कि भारत में भी पाकिस्तान की तरह कोई फौजी देश की कमान संभाल ले? इसलिए मैं राजनीति और राजनीतिज्ञों की तरफदारी में खड़ा हूँ.
परन्तु...............परन्तु यह राजनीति करने वाले भी हद करतें हैं. हर दिन यह कोई ऐसा काण्ड करतें हैं कि मेरा जैसा समर्थक भी इनको जूते मारने को दौड़े. इस का लेटेस्ट उदाहरण हैं Times Of India में छपी यह खबर "No Inflation in Parliament Canteen".
संसद की कैंटीन में पाए जाने वाले पदार्थों के भाव देखिये और भाव खाईये. आम आदमी की आम सरकार के लिए आम गुठली के दाम.
समाचार साभार: अलका द्विवेदी
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4 comments:
भाड मै जाये यह गेंडे,
हां यह टैक्सपेयर से सबसिडाइज्ड होगी। और क्वालिटी भी बहुत उम्दा होगी।
राजनीतिज्ञों को गाली देने का लाभ यह है कि शेष समाज गाली से बच जाता है। हम कभी न तो अपने अंदर झांकते हैं और ना ही नौकरशाही या अन्यों को देखते हैं। आज देश में बहुत से ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जो वाकयी अच्छे हैं और समाज के लिए कार्य कर रहे हैं। जब हम राजनीतिज्ञों के लिए गंदे शब्दों का प्रयोग करते हैं तब सभ्य लोग भी राजनीति में जाने से हिचकिचाते हैं। जबकि सत्य यह है कि आज नौकरशाही, पत्रकारिता और न्यायपालिका इन नेताओं से भी ज्यादा भ्रष्ट है, प्रतिशत में। रही बात सस्ते खाने की तो यह तो कोई बात नहीं हुई। इस देश में सारे ही सर्किट हाउसों में इसी रेट पर खाना मिलता है। इससे भी ध्यान देने योग्य बात यह है कि हमारे यहाँ तो हजारों लंगर संचालित हैं जहाँ सारे ही तीर्थ यात्री मुफ्त में भोजन करते हैं। तो यह कोई बड़ा इश्यू नहीं है। केवल नासमझी मात्र है।
आशा करें कि जो संसद में है, वह सड़क पर भी आएगा.
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