Wednesday, June 18, 2008

पुण्य स्मरण:


कार्यक्रम एक छात्रावास का था जिस में अधिकाँश बच्चे उत्तर व् उत्तर पूर्व भारत के जनजातिय क्षेत्रों के अभावग्रस्त परिवारों के थे। कार्यक्रम बहुत सादा और सजीव रहा । लगभग सभी बच्चों ने (हिन्दीभाषी न होते हुए भी) बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरण किया। बाद में छात्रावास के प्रबंधक द्वारा दिए गए वृत्त से पता लगा कि वहां रहने वाले बच्चों में सब से कम आयु का बालक पॉँच - छ वर्ष का था। कार्यक्रम की समाप्ति के बाद बच्चों के साथ भोजन कर हम लोग अपनी कार से लौट रहे थे। अपने एक मित्र के साथ वे पिछली सीट पर बैठे बातचीत कर रहे थे और मैं मूक श्रोता बन गाड़ी चला रहा था।



अनायास ही उन के मित्र ने पूछा कि वे कुछ उदास लग रहें हैं क्या बात है ? चौंक कर मैंने भी रियर व्यू मिरर में उन का 'उदास' चेहरा देखने का प्रयास किया। सामने से आने वाली गाड़ियों के प्रकाश में सच ही वे कुछ भावुक से लग रहे थे। "मेरे ऊपर कुछ समय इस छात्रावास के संरक्षक की जिम्मेवारी रही है" उन्होंने शुन्य में निहारते कहना शुरू किया। "उस समय इस छात्रावास के बच्चों के वार्डन के रूप में एक परिपक्व दम्पति नियुक्त था । इस बीच मेरी व्यस्तता बढने के कारण काफ़ी समय मेरा यहाँ आना नहीं हुआ। आज इतने दिनों के बाद आने पर पता चला कि प्रबंध समिति ने उस दम्पति के स्थान पर एक तरुण युवक को नियुक्त कर दिया है।" वे निश्चित ही उदास स्वर में बोले थे।



मैं अभी भी उन की चिंता का कारण न समझ हैरान हो रहा था और एक पल साँस ले वे फिर बोले, " महिलाएं संवेदनशील होतीं हैं और बच्चे भी पुरूष की अपेक्षा किसी महिला से अधिक स्नेह रखतें हैं । वो दोनों पति पत्नी बड़े मनोयोग से बच्चों की संभाल करते थे। बच्चे भी उस महिला को अपनी माँ समझ दुःख सुख कह लेते होंगे। परन्तु यह अविवाहित नया वार्डन कैसे बच्चों की देखभाल कर पायेगा ? रात्रि में सोने के समय बत्तियां बुझा अपने कमरे में सो जाता होगा । उस को कल्पना भी नहीं होगी कि किसी बच्चे को उस की जरुरत होगी। पॉँच साल का वो नन्हा बालक जब रात को अपनी मां को याद कर रोता होगा तो कौन उसे सीने से लगा चुप कराता होगा ? " इस के आगे वे कुछ नहीं बोले न ही हम में से कोई कुछ कह पाया। हवा एकदम नमी से भर गयी लगती थी।




यह बात कोई चार साल पुरानी है। मैं जो अपने पापा को बहुत सख्त समझता था, उस दिन उन की उदासी देख दंग रह गया। बाहर से इतने कठोर दिखने वाले अंदर माँ का ह्रदय रखतें थे, सोच कर मन भर आता है। काश आप कुछ और समय हमारे साथ रहते। १८ जून को आप की पुण्यतिथि पर भावभीनी पुष्पान्जिलि ।






4 comments:

Udan Tashtari said...

आपके पिता जी एक संवेदनशील और भावुक हृदयी व्यक्ति थे. उनकी पुण्य याद को हमारी भावभीनी पुष्पान्जिलि ।

Praney ! said...

Aap ki samvednayon ke liye hardik aabhaar.

Anonymous said...

post dil ko choo gai

Aap ke Pitaji ke liye humari bhi bhabbhini pushpanjali.

Praney ! said...

Thanks Juneli !